14 Jun 2009

कविराज भूषण - भाग ५ - जै जयंति ... !

जै जयंति जै आदि सकति जै कालि कपर्दिनी ... ।
जै मधुकैटभ - छलनि देवि जै महिषविमर्दिनि ... ।
जै चमुंड जै चंड मुंड भंडासूर खंडिनि ... ।
जै सुरक्त जै रक्तबीज बिड्डाल - विहंडिनि ... ।
जै जै निसुंभ सुंभद्दलनि भनि भूषन जै जै भननि ... ।
सरजा समत्थ सिवराज कहॅं देहि बिजय जै जग-जननि ... ।

... कवीराज भूषण.

भाषांतर :

हे आदिशक्ति ! हे कालिके ! हे कपर्दिनि (गौरी) ! हे मधुकैटभ महिषासूरमर्दिनि देवी ! हे चामुंड देवी ! हे भंडासूर्खंडिनी ! हे बिडाल विध्वंसिनी ! हे शुंभ-निशुंभ - निर्दालिनी देवी ! तुझा जयजयकार असो ! भूषण म्हणतो हे जगज्जननी ! सिंहासमान शूर अशा शिवरायास विजय देत जा.

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